❤️ एक रोमांटिक कहानी: एक आख़िरी मुलाक़ात
राहुल और अंजली… दो कॉलेज के दोस्त। पहली मुलाक़ात किसी फिल्मी सीन जैसी — लाइब्रेरी में टकराना, किताबें गिरना और फिर आँखों का मिलना।
जब राहुल ने अंजली को पहली बार देखा, तो बस इतना कहा —
"तुम्हारी मुस्कान… किताबों से ज़्यादा शांति देती है।"
धीरे-धीरे दोस्ती गहरी होती गई, और कब प्यार में बदल गई… उन्हें पता ही नहीं चला। पार्क में घंटों बैठना, कॉलेज कैंटीन में चाय बाँटना और एक-दूसरे की आंखों में सपने देखना उनकी दुनिया थी।
🌧️ ज़िंदगी की करवट
कॉलेज खत्म हुआ। अंजली को दिल्ली में एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिली, और राहुल ने अपने पिता का बिजनेस संभालना चुना।
फासले बढ़े… बातें कम हुईं… और एक दिन अंजली का मैसेज आया —
"मैं नहीं जानती आगे क्या होगा… लेकिन अगर कभी मिलना हो, तो उसी पार्क में मिलना जहाँ पहली बार तुमने मेरा नाम लिया था।"
⏳ सालों बाद...
राहुल ने अंजली को भुला दिया था… शायद नहीं। वो मैसेज उसके दिल में गूंजता रहा।
5 साल बाद, एक शाम… उसी पुराने पार्क में राहुल बैठा था।
धीरे-धीरे सूरज डूबने लगा, और तभी किसी ने धीरे से कहा —
"अब भी मुस्कान वैसी ही है..."राहुल पलटा — सामने अंजली खड़ी थी।
❤️ एक नई शुरुआत
शब्द नहीं थे… सिर्फ मुस्कुराहट थी।
कुछ रिश्ते कभी खत्म नहीं होते। बस थोड़ा वक्त लेते हैं... वापस आने के लिए।
~ समाप्त
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