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एक घोड़े का बलिदान - कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु

कुतुबुद्दीन ऐबक का नाम आप सब ने सुना होगा 
बहुत ही क्रूर शासक था 
गुलाम बंश का प्रथम शासक था और दिल्ली का पहला सुल्तान था 
उसने बहुत काम शासन किया बस ४ बरस शासन किया था दिल्ली पर 
वो muhhmad गोरी के अभियान में पहले शामिल हुआ फिर वो दिल्ली का शासक बन गया 
 कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु घोड़े से गिरने से हुई थी ऐसा बताते है ...
अपने कभी शुभ्रक घोड़े के बारे नहीं सुना होगा 
यही वो घोड़ा है जिसने कुतुबुद्दीन ऐबक को मौत के घाट उतार दिया था 
कुतुबुद्दीन ऐबक और उदयपुर के राजा  राजकुंवर कर्ण सिंह बहुत घातक युद्ध हुआ जिसमें कर्ण सिंह हार गए और कर्ण सिंह का घोड़ा कुतुबुद्दीन ऐबक को पसंद आ गया और उसे अपने साथ ले गया 

 कुतुबुद्दीन ऐबक उन्हें  भी बंदी बना के लाहौर ले गया 
जहा राजा कर्ण सिंह को मृत्यु की सजा सुनाई गई 
मौत की सजा देने के ले राजा कर्ण सिंह को जन्नत बाग ले जाया गया 

कुतुबुद्दीन ऐबक भी सुभ्रक घोड़े पे सवार होकर आया था 
जब घोड़े ने राजा को देखा तो घोड़े के आंखो से आंसू निकलने लगे 

और गुस्से से कुतुबुद्दीन ऐबक को पटक कर नीचे डाल दिया और पैरों से मार मार कर उसके प्राण निकाल दिए 

मोका देख के राजा ने सीधे घोड़े पे बैठा और सीधा लाहौर से उदयपुर बिना रुके दौड़ा और सीधे महल के आगे रुका 
राजा ने उसे प्यार से पुचकारा 
लेकिन तब तक उसके प्राण निकल चुके थे 

इतिहास में कहीं भी पड़ने को नहीं मिला yl क्युकी यहां के bampanthi इसे सिर्फ एक कहानी मानते है




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