हम चार लोग थे तो हमने जाने का पूरा प्लान बनाया और गाड़ी बुक की
और फिर हम निकले भानगढ़ समथिंग हमारे वहां से 380 किलोमीटर था गाड़ी 8rupya किलोमीटर में की हुई थी हमने तो हमारा ज्यादा कुछ खर्च हुआ नहीं था
अब हम संडे वाले दिन घर से खाना वगैरह पैक कराकर पूरी तैयारी के साथ निकले निकलने में हमें लगभग 10:30 से 11:00 बज गए थे
हमारा पहला स्टॉप मथुरा लिया था मथुरा पहुंचते हुए में लगभग 3:00 बज गए थे खाना खाकर हम जल्दी मेहंदीपुर बालाजी के लिए निकले थे मेहंदीपुर बालाजी हम लगभग शाम के 9:00 बजे पहुंच गए थे अब हम रात भर वहीं पर कमरा लिया वहीं पर रुके थे
मेहंदीपुर बाला जी से भानगढ़ लगभग 80 km है
हम लोग सुबह 6:00 बजे के लगभग उठे और जल्दी नहा धोकर सब लोग मंदिर जाने को तैयार हो गए मंदिर में काफी भीड़ होती है तो बहुत टाइम लाइन में लगना पड़ता हे
मंदिर बहुत प्रचीन है बाला जी महाराज का
हम लोगो ने बाबा के दर्शन किए और लगभग 11 बज गए थे
हम लोगो ने गाड़ी निकाली और चल पड़े भानगढ़ की ओर
मन में डर ओर रोमांच अलग ही चरम पे था
हम लोग 1 बजे भानगढ़ पहुंच गए
जब भानगढ़ पहुंचे तो हर दुकान के आगे लिखा था
भूतो की नगरी भानगढ़ के प्रसिद्ध मिठाई या अंडे ऐसे ही स्लोगन लगा रखे थे लोगो ने ।
हम लोग सोच में पढ़ गए की खाली हाईलाइट करने के लिए यह सब बोला जाता है
फिर हम भानगढ़ पहुंच गए
भानगढ़ में 7 मंजिल का काफी बड़ा इमारत थी लेकिन अब वो तीन मंजिल ही बचा है सुना जाता है कि वह जमीन में धंस गया है
भानगढ़ का किला चारों तरफ पहाड़ियों से गिरा हुआ एक बहुत ही सुंदर दिखने वाला महल रहा होगा लेकिन अब वो काफी डरावना हो गया है
जब हमने महल में प्रवेश किया तो सबसे पहले हमें एक मैप दिखाई दिया जिसमें पूरा भानगढ़ को दर्शाया गया था
एवं भानगढ़ में प्रवेश किया तो सबसे पहले हमें एक हनुमान मंदिर के दर्शन हुआ उससे थोड़ा सा आगे जाने के बाद दोनों साइड खंडहर बनी दुकानें थी जिसे जोहरी बाजार बोलते थे अब वह कुछ ऐसा दिखता हैहै
थोड़ा आगे बढ़ने पे हमे गोपीनाथ मंदिर दिखाई दिया
और थोड़ा आगे बढ़ने पर हमें चड़ाई दिखाई दी वो 3 मजिल इमारत पे जाती है और हम पूरा मज़िल गुमे और कहीं कहीं बहुत जादा डरावना लगा क्युकी काफी जगह काफी अंधेरा था
फिर हमारे सामने राजमहल था
यही वो जगह थी जिसे सबसे जादा डरावना बताया जाता है
राजमहल की भी एक कहानी बताई गई है
सुना जाता है कि
भानगढ़ में एक समय एक तांत्रिक रहता था जो वहाँ की राजकुमारी रत्नावती से प्रेम करता था और उसे पाना चाहता था एक दिन जब राजकुमारी की एक सेविका बाजार में इत्र खरीदने गयी तो तांत्रिक ने उस इत्र पर जादू कर दिया जब राजकुमारी को सच्चाई पता चली और उसने एक पत्थर की सहायता से तांत्रिक को मार दिया लेकिन मरने से पहले तांत्रिक ने भानगढ़ को शापित कर दिया और उसके बाद भानगढ़ उसके बाद अधिक समय तक अस्तित्व में नहीं रह सका।
दूसरी कहानी
भानगढ़ में तपस्वी बालूनाथ की समाधि स्थल था जब जब राजा महल का निर्माण करा रहा था तो उन्होंने राजा से कहा कि महल की ऊंचाई इतनी मत कर देना कि मेरी तपोभूमि पर उसकी छाया पड़े लेकिन राजा ने महल की ऊंचाई कितनी कर दी कि उसकी छाया बालूनाथ की तपोभूमि पर पड़ गई जिससे बालूनाथ ने श्राप दे दिया और भानगढ़ का विनाश हो गया
अब यह कहानी रियल है या फेक यह तो मुझे नहीं पता लेकिन वह जगह घूमने लायक अच्छी लगी मुझे कभी अच्छी जगह है काफी लोग वहां सेल्फी खींचने में आते हैं और छुट्टियों में घूमने भी आते हैं मैं वहां काफी भीड़ थी
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