पापा ने फोन को उठाया किसी दूर के रिश्तेदार का फोन था ,
उन्होंने बताया कि आज आपके लड़के को देखने वाले आने वाले है
पूरी फैमिली खुश थी सिवाय मेरे
मेरे मन में एक डर सा था खुशी भी थी डर वी था
मन में बहुत खयाल आरे थे किं क्या होगा
लड़की वाले मुझे पसंद करेंगे या नहीं
लड़की केसे होगी
हम लड़की देखने जाते.
अगले दिन सुबह से ही नाश्ते की तयारी चल रही थी,
समथिंग 11am वो लोग आ गए
में सरम के मारे उनके सामने नहीं गया
थोड़े देर बाद बुलावा आया और में गया
और जाते ही बैठने को बोला
में चुपचाप बैठ गया
उन्होंने मुझसे कुछ सवाल पूछे पढाई के बारे में
जो पूछते में बताता गया .
और फिर में उन्हें पसंद आ गया
अब हमारी वारी थी लड़की देखने जाने की
२ डे बाद का प्रोग्राम फिक्स हुए
१२ बजे हम पहुंच गए
नाश्ता बगेरा किया
फिर मुझे और लड़की को मिलने को अकेले में कर दिया
मुझे बहुत शर्म लग रही थी मैने १ नजर उस देखा और वो मुझे पसंद आ गई
मैने उससे कुछ बात नहीं की वो भी असहज महसूस कर रही थी
और फिर हमरी शादी फिक्स हो गई
15दिन बाद हमारी शादी थी
मैने उससे फोन पर भी कभी बात नहीं की
काम काज में पता ही नहीं चला कि कब 15 दिन निकल गए
और शादी हो गई
हमरी शादी को 15 ईयर हो गए है
में आज भी उससे परेशान हूं
और वो मुझसे परेशान है
मज़ाक तक
पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही नाजुक होता है
जो विश्वास और समर्पण से चलता है
एक दूसरे कि कमी निकलने से अच्छा है एक दूसरे को समझना
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