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श्याम बाबा की कथा

सभी श्याम प्रेमियों को मेरा नमस्कार
                कौन है बाबा खाटू श्याम क्यों कहते हो ना शीश का दानी क्यों कहते हैं उन्हें हारे का सहारा चलिए जानते हैं उनकी कथा के साथ
                     जय श्री श्याम

बात उस समय की है जब कौरव और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध चल रहा था कन्हैया की सेना कौरवों की ओर थी और खुद कन्हैया पांडवों की ओर थे

 कोन थे  खाटू श्याम 

महाबली भीम के पुत्र थे घटोत्कच घटोत्कच की माता का नाम हिडिंबा
और घटोत्कच की पत्नी का नाम था मोरवी इसलिए खाटू श्याम को मोरवी नंदन भी कहा जाता है बर्बरीक ने जन्म लेते ही 14 वर्ष की आयु ग्रहण की थी बाल घुंघराले थे इसीलिए उनका नाम बर्बरीक पड़ा
जय क्षत्रिय परिवार से थे इसलिए उन्होंने कुछ शिक्षा और विद्या प्राप्त करने की सोची इसीलिए अपनी मां के पास गए और मां से बोला मैं भी विद्या प्राप्त करना चाहता हूं माता ने दुर्गा माता और भोले बाबा की तपस्या करने को बोला और तपस्या करके उन्होंने पूरे संपूर्ण ब्रह्मांड को जीतने वाले तीन बाण प्राप्त कर लिए

जब उन्हें तीन बार प्राप्त हो गए तो उन्होंने महाभारत के युद्ध में जाने के लिए अपनी मां से कहा तो माता ने कहा कि मुझे दो बचन दे
पहल वचन कि जो कोई भी तुझसे रास्ते में कोई कुछ भी मांग ले तो उसे मना नहीं करेगा
और दूसरा वचन  जो युद्ध में हारेगा तो उसका साथ देगा
मां को वचन देकर महाबली बर्बरीक युद्ध की ओर अपने नीले घोड़े पर सवार होकर चल दिए
जब युद्ध में पहुंचे तो पूरे युद्ध हल चल मच गई कि कौन आया यह 14 साल का बच्चा
अर्जुन ना देखा तो उन्होंने मुझे जी से कहा कि हे माधव कि कौन है यह इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि कहीं मैं युद्ध ना हार जाऊं
अर्जुन की बात सुनकर कृष्ण जी मैं ब्राह्मण का रूप रखकर बर्बरीक को रोका और पूछा कि कौन हो तुम
महाबली बर्बरीक ने बताया मैं घटोत्कच पुत्र बर्बरीक हूं
कृष्ण जी ने पूछा कहां जा रहे हो
महाबली बर्बरीक बोले मैं इस महाभारत के युद्ध में भाग लेने जा रहा हूं
कृष्ण जी बोले कहां मरने जा रहा है अभी तेरी उम्र ही क्या है अभी तेरी खेलने कूदने की उम्र है
महाबली बर्बरीक बोले जिनके हौसले बुलंद होते हैं उन्हें मरने से मानने से डर नहीं लगता
कृष्ण जी बोले युद्ध में बहुत बड़े बड़े योद्धा हैं युधिष्ठिर भीम दुर्योधन तू कहा मरने जा रहा है
ऐसी कौन सी शक्ति है तेरे पास
बर्बरीक बोले महाराज आप एक बार आज्ञा दे कर देखो एक बाण से ही पूरे युद्ध समाप्त कर दूंगा
ब्राह्मण से बोलते हैं बोलना आसान हे सिद्ध करके दिखाओ
सामने पीपल का पेड़ दिखाई देता है महाबली बर्बरीक अपने तरकस में से एक बाण निकालते हैं और धनुष में लगाकर चला देते हैं
ब्राह्मण देव एक पत्ता अपने पैर के नीचे छुपा लेते हैं
बाढ़ सारे पत्ते भेदने के बाद कृष्ण जी के पैर के ऊपर घूमने लगता है
 महाबली बर्बरीक बोलते हैं कि महाराज पैर हटाइए आपके पैर के नीचे एक पत्ता है
ब्राह्मण देव समझ गए अगर यह युद्ध में चला गया तो सब को ढूंढ ढूंढ कर मारेगा
तब कृष्ण जी बोले महाबली बर्बरीक किसका साथ दोगे युद्ध में
तब बर्बरीक बोलते हैं कि मैं अपनी मां को वचन दे कर आया हूं कि जो युद्ध में हारेगा उसका साथ दूंगा
किशन जी बोलते हैं कि यह कैसा वचन दे दिया अपनी मां को अगर पांडव जीते हैं तो तुम कौरवों की तरफ अगर कोरब जीतते हैं तो तुम पांडवों की तरफ ऐसे तो युद्ध का निर्णय नहीं निकलेगा

बर्बरीक में हाथ जोड़ दिए 
ब्राह्मण देव मेरा मार्गदर्शन करो तब ब्राह्मण दे बोले
कि इस दुनिया के कल्याण के लिए मुझे एक शीश की आवश्यकता है 
वो शीश या कृष्ण का हो या अर्जुन का या तुम्हारा बर्बरीक
श्रीकृष्ण को विशुद्ध का मार्गदर्शन करना है और अर्जुन को युद्ध लड़ना है बच्चे तुम बर्बरीक अपने शीश का दान दो और दुनिया का कल्याण करो

महाबली बर्बरीक ने यह सुनते ही अपनी तलवार निकाली और बोला प्रभु शीश का दान में दूंगा लेकिन जो शीश का दान मांग  सकता है वह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं हो सकता 
आप अपने असली रूप में आइए 
तब मोर मुकुट बंसी वाले ने अपना विराट रूप दिखाया
महाबली बर्बरीक ने दर्शन करने के बाद अपने शीश का दान दे दिया तब कृष्ण जी ने अंतिम इच्छा पूछी
तब बर्बरीक के शीश में से आवाज आई युद्ध लड़ने आया था युद्ध लड़ नहीं पाया युद्ध देखना चाहता हूं यह सुनकर कृष्ण जी ने शीश को अमृत पान कराया
ऊंची पहाड़ी पर रख दिया
महाभारत का युद्ध पांडव जीत चुके थे और अब आपस में लड़ रहे थे की युद्ध में ने जताया अर्जुन बोले कि युद्ध मैंने जिताया भीम बोले युद्ध मैंने जिताया नकुल सहदेव बोले युद्ध मैंने जिताया
सब आपस में लड़ने लगे
तभी सब लोग कृष्ण जी के पास जाते हैं पूछते हैं की युद्ध किसने जीता तब कृष्ण जी बोलते हैं मुझे क्या पता मैं तो तुम्हारा रथ  चला रहा था तब कृष्ण जी बोलते हैं कि तुम उस शीश के पास चलो वह बताएगा की युद्ध किसने जिताया 
हे बर्बरीक युद्ध किसने जीताया तब बर्बरीक बोले कि पांडवों घमंड किस बात का करते हो युद्ध में मरने वाला भी कन्हैया था और मारने वाला भी कन्हैया था
 मुझे तो कन्हैया जी का सुदर्शन चक्र के अलावा कुछ नहीं दिखाई दिया अर्जुन तुम्हारे साथ पर तो पूरी पृथ्वी का भार लिए खुद कृष्ण जी बैठे थे 
कर्ण क रथ पर अकेला कर्ण था 
जब वो बाण चलता तो तुम्हरा रथ 2कदम पीछे चला जाता और जब तुम बाण चलाते थे तब भी उसका रथ दो कदम पीछे जाता था ताकतवर तुम नहीं ताकतवर कर्ण था  लेकिन तुम्हारी जीत इसलिए हुई क्योंकि तुम्हारी रथ पर पूरी पृथ्वी का भार लिए यह मुरली वाला बैठा था 

यह जवाब मुरली वाले को बहुत पसंद आया और मुरली वाले बोले अमृत मैंने तुम्हें पहले ही पिला दिया जैसे ही कलयुग प्रारंभ होगा मेरी 16 की 16 कलाएं इस में शीश जीवित हो जाएंगी और और यह मेरे श्याम नाम से जाने जाएंगे
बोल खाटू नरेश की जय बाबा की जय हारे के सहारे की जय जय श्री श्याम जय खाटू नरेश बाबा का धाम रींगस से 16 किलोमीटर दूर है जय श्री श्याम


कोई गलती हो गई हो तो मुझे क्षमा करें जय श्री श्याम

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